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 पूर्णिका _ आतंक राग:  श्याम कुंवर भारती

पूर्णिका _ आतंक राग: श्याम कुंवर भारती

 पूर्णिका _ आतंक राग।


आतंक राग गाने की बजाय इसे भुला पाते तो अच्छा होता।

भारत से पंगा लेने की बजाय सिर झुका देते तो अच्छा होता।


लाख सर पटक लो हमारी बराबरी कभी कर नहीं सकते तुम ।

खून खराबा करने वाले घर अपना बचा पाते तो अच्छा होता।


बेशर्म और निर्लज भी कम नहीं हो तुम हार का जश्न मनाते हो।

हमें आंख दिखाने वाले गर अपनी भूख मिटाते तो अच्छा होता।


कोई काम नहीं आएगा जिनके बल पर उछलते हो तुम बहुत।

खंडहर बने अपने आशियाने को गर बसा पाते तो अच्छा होता।


झूठ फरेब मक्कारी और आतंक राज ज्यादा दिन चलता नहीं।

मिले माफी गर आतंक मिटाने की कसम खाते तो अच्छा होता।


शांति से रहो और हमे भी रहने दो इसी में भलाई है तुम्हारी।

छेड़ा तो छोड़ेंगे नहीं भारती पीओके लौटा पाते तो अच्छा होता 


श्याम कुंवर भारती 

बोकारो, झारखंड

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