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 विषय जिंदगी के कांटे :  सुनीता मिश्रा लखनऊ

विषय जिंदगी के कांटे : सुनीता मिश्रा लखनऊ

 



विषय जिंदगी के कांटे 


जिंदगी से शिकायत क्या करें,मैं तो करता कभी नही,

जो चाहा था मैंने जीवन में वो मुझको तो मिला ही नहीं,

निकालता रहा ताउम्र मै जिंदगी के कांटे और शूल

भगवान व इंसान से करता मैं भी शिकवा और गिला नहीं।


जो दिया तूने मुझे ए जिंदगी बस तसल्ली मिल गई,

चलाना था रूपया मुझे शुक्र है चवन्नी तो चल गई ,

हर किसी को मुकम्मल जहान नहीं मिलता दोस्तों,

मिलती रही जो आपकी, दिल से दुआएं काम कर गई।


कर्मवीर कर्मशील अपनी किस्मत और जिंदगी को न कोसते,

हो हुनर अगर हाथ में तो सदा फलते और फूलते,

भरोसा रखना होगा अपने हुनर और दो हाथों पर,

टल ही जाएगी मुसीबतें भी, ऐसा क्यों नहीं सोचते।


जिंदगी में कांटे ही कांटे हैं कभी होना नहीं तूं हताश,

दुःख आया है चला  जाएगा, ना होना कभी भी निराश,

किस्मत भी साथ देती,जो खुद पर रखते विश्वास,

ख़ुद को काबिल बना इतना, मंजिलें आजाएं पास।


सकारात्मक सोच रखिए

सुनीता मिश्रा लखनऊ

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