बिगड़ते रिश्ते: विनय साहू निश्छल
पत्थर दिल इंसान से भी उम्मीद लगाना पड़ता है।
मान और सम्मान बेचकर एकदम गिर जाना पड़ता है।।
सच पूछो तो सबकुछ निर्भर करता है हालातों पर।
कभी कभी कुछ रिश्तों को ऐसे भी बचाना पड़ता है।।
एकतरफा झुक झुक करके एकदम झुक जाना पड़ता है।
वो साथ न तो भी उसके पीछे पीछे जाना पड़ता है।।
गलती अपनी न हो दिया भी उन्हें मानना पड़ता है l
कभी कभी कुछ रिश्तों को ऐसे भी बचाना पड़ता है।।
एकतरफा है याराना फिर भी वो निभाना पड़ता है।
करे नजर अंदाज अगर करे तो आवाज लगाना पड़ता है।।
मिलता है वो स्वार्थ देखकर उसको भी चलाना पड़ता है।
कभी कभी कुछ रिश्तों को ऐसे भी बचाना पड़ता है।।
अंदर तो कुछ और भी है बाहर से बचाना पड़ता है।
सच कहता हूं कभी कभी सम्मान बचाना पड़ता है।।
जान बूझकर सबकुछ बुद्धू बन जाना पड़ता है।
कभी कभी कुछ रिश्तों को ऐसे भी बचाना पड़ता है।।
।। विनय साहू निश्छल।।
।।चित्रकूट उत्तर प्रदेश।।
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